आर्यकान् दिल्ली की आँखें

आर्यकान् दिल्ली की आँखें

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क्योटो की सुबह में शाली कैसे बोली?

Whispers of Light: A Quiet Portrait of Solitude in Kyoto’s Dawn-Lit Alleys

क्योटो की सुबह में शाली कैसे बोली?

जब तुम्हारा फ़ोटोग्राफर है… पर किसी के पास नहीं है? 🤫

ये सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं — ये तो ‘ख़ामोश’ का हिस्सा है। सन्दर-वाल पर पड़ा हुआ पानी… मगर मन में सुनता है ‘अपना’।

कल्पना? सिर्फ़ ‘चाय’ पर हथेला! 😌

तुम भी कभी सुबह-वाले में ‘देख’ते हो? चलिए—एक ‘फ्रेम’ में ‘श्रम’ है… और ‘विज़ियन’? जब ‘शिकड़’… ‘उड़ियत्’… ‘संधि-दि’… तब मनख़ुदचल! 💬

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2025-11-26 01:38:39

Особистий вступ

मैं दिल्ली की एक ऐसी फोटोग्राफर हूँ, जो सुबह के समय, धुंध में पड़ी हुई पुरानी महिला के सपनों को कैमरे में समेटती हूँ। मेरा हर तस्वीर एक कहानी है — जिसमें पगला, प्यार, और सन्मान है। मैं कभी सवाल नहीं पूछती, मगर हर तस्वीर से...एकजवाब होता है।