रानी की कविता

रानी की कविता

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नज़र उतारा, पर दिल्ली की चाय पीते हुए

When They Lower Their Gaze: A Quiet Strength in Blue Transparency

नज़र उतारा? हाँ! ये तो सिर्फ़ मेरी माँ की सूट है

देखोगा कि किसने कहा ‘शिबुया’ में पानी से भीगला? नहीं! वो तो सिर्फ़ ब्रेथ कर रही थी… कैमरा? हटाया। सूट? ब्लू। स्माइल? क्रैश। और हम? पढ़ते हुए

अगल-चुड़िया में ‘सिलेंस’ कभी ‘पोज’ नहीं होता… मैंने पकड़-फ्रेम** से एक… आखिर में चाय पीकर मुस्कुर से देखने को बढ़न!

आपको कौन-सी ‘मैं’ मिलती? #CommentZoneMeinKhaanaLagaa!

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2025-10-17 07:18:55

Особистий вступ

मैं दिल्ली की एक फोटोग्राफर हूँ, जो आँखों में सुबह के समय का प्रकाश पकड़ती हूँ। मेरी तस्वीरें बात नहीं कहतीं, पर सब कुछ सुनती हैं। मैं हर महिला के मुख पर छुपे हुए सपनों को पकड़ती हूँ —— जो सिर्फ़ एक 'लड़क' नहीं, 'एक सच्चाई' है। मेरा काम है: प्रेम, सन्यम, और स्वप्नों को प्रिंट करना।