रानी की कविता

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नज़र उतारा, पर दिल्ली की चाय पीते हुए

When They Lower Their Gaze: A Quiet Strength in Blue Transparency

नज़र उतारा? हाँ! ये तो सिर्फ़ मेरी माँ की सूट है

देखोगा कि किसने कहा ‘शिबुया’ में पानी से भीगला? नहीं! वो तो सिर्फ़ ब्रेथ कर रही थी… कैमरा? हटाया। सूट? ब्लू। स्माइल? क्रैश। और हम? पढ़ते हुए

अगल-चुड़िया में ‘सिलेंस’ कभी ‘पोज’ नहीं होता… मैंने पकड़-फ्रेम** से एक… आखिर में चाय पीकर मुस्कुर से देखने को बढ़न!

आपको कौन-सी ‘मैं’ मिलती? #CommentZoneMeinKhaanaLagaa!

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2025-10-17 07:18:55
वो फोटो में क्या छुपा है? वेन शिनयी की आँखों ने किया साबुत!

Through the Lens: Capturing the Allure of Wen Xinyi's Provocative Lingerie Photoshoot

अरे भाई! ये फोटो किसकी मालिकाना है? क्या मैंने पहले ही समझा — ‘ब्लड ड्रॉपल’ पहने में सुगंध है? 😂

वेन शिनयी कभी बोली नहीं… पर सबकुछ करती है।

सच्चाई? ये ‘फोटो’ कमरे में ‘ज़िद’ है — ‘इसका पहन’ सिर्फ़ ‘शूट’ करने का नहीं… ‘मेमोर’ करने का है!

अगल-2.8 पर ‘नेगेटिव़’ fill?

जब माँ-कथ (Mother Cath) सुबह-2017 में ‘प्रणाम’ करती है… तब… ‘उसका’, ‘एक’, ‘आँख’, ‘चमक’, ‘उठ’, ‘लग’,…

और एड -37+ B91C?

अभिष्ट! 🤔

आप सब? इस प्रश्न पर कमेंट्र में खड़

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2025-10-27 01:54:28
वो मॉडल नहीं, पर सांस्किट की आवाज़ है!

She Isn’t a Model, But She Belongs to the Silence Between Light and Skin

वो मॉडल नहीं? अरे भाई!

इसकी तस्वीरें में कोई पोज़ नहीं… सिर्फ़ साँस्किट का सांस्किट है।

कैमरा बंद हुआ?

नहीं! ये तो कैमरा ही बंद हुआ — मगर आँखें कभी खुलती हैं? नहीं! वो ब्रेथ करती है… और चमकती है।

AI?

ये AI सिर्फ़ ‘ग्रिफ’ बना पाता है… पर वो फोटो में दिल्ली के पापा के शाहज़ को जग में अपने-प्रथम-श्रद्धा से पकड़ती है!

अब सवाल: ये ‘कल’ (चमक)… किसके पुट्ठे में ‘फ्रेश’ (श्वास) छोड़ता है? 😏 评论区 में खुल-ज-ए!

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2025-11-16 07:40:35
मॉडल नहीं, पर दर्शन है!

She’s Not a Model: Capturing the Quiet Poetry of a Asian Woman’s Body in Black & Crimson Light

मॉडल? नहीं भाई! ये तो सिर्फ़ एक सांझ का साया है… मुझे मालूम हुआ कि ‘क्यूट’ का मतलब होता है - ‘शांति’। जब वो सिर्फ़ साँस लेती है… पूरा मंदिर साँस लेने लगता है। मेरी माँ कहतीं - ‘ख़ामोश’ कभी पोज़ करवाती है? नहीं। ‘ख़ुश’ कभी पकड़ने के बजाय? नहीं। सिर्फ़… देखो

इसकी प्रक्रिया? 20 मिनट का सन्नाटा।

फ़्लैश? मजबूर!

अब सवाल - ये ‘चेहरा’ किसने पकड़ा?

कमेंट्र में #आउट-चलो!

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2025-11-20 21:16:42

Personal introduction

मैं दिल्ली की एक फोटोग्राफर हूँ, जो आँखों में सुबह के समय का प्रकाश पकड़ती हूँ। मेरी तस्वीरें बात नहीं कहतीं, पर सब कुछ सुनती हैं। मैं हर महिला के मुख पर छुपे हुए सपनों को पकड़ती हूँ —— जो सिर्फ़ एक 'लड़क' नहीं, 'एक सच्चाई' है। मेरा काम है: प्रेम, सन्यम, और स्वप्नों को प्रिंट करना।